प्रस्तावना
भारत में हर त्योहार का अपना एक अलग रंग, भावना और संदेश होता है। इन सबमें सबसे ज्यादा प्रतीक्षित और हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला पर्व है दीपावली, जिसे दीwali या दीप उत्सव भी कहा जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
2025 में दीपावली कब है, यह प्रश्न इस समय लाखों लोगों के मन में है। तो आइए विस्तार से जानें—दीपावली 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पांच दिवसीय दीपोत्सव का क्रम, पूजन विधि, मान्यता और उत्सव के आधुनिक रूपों के बारे में हर वह जानकारी जो आपके लिए महत्वपूर्ण है।
दीपावली कब है 2025 में?
हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावली अमावस्या तिथि को मनाई जाती है — कार्तिक मास की अमावस्या, जब चंद्रमा का प्रकाश शून्य होता है और जगमगाते दीपक अंधकार को मात देते हैं।
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2025 में दीपावली की तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
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लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: संध्या 06:03 PM से 08:28 PM तक
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प्रदोष काल: 05:49 PM से 08:28 PM तक
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अमावस्या तिथि आरंभ: 20 अक्टूबर 2025, सुबह 04:21 AM
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अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, सुबह 02:16 AM
इस दिन महालक्ष्मी, कुबेर और गणेश पूजा का विशेष महत्व होता है। पूरे भारत में दीपक जलाकर घरों को सजाया जाता है, मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और परिवार तथा समाज में आनंद का वातावरण बनता है।
दीपावली 2025 से पहले और बाद के 5 दिन: संपूर्ण पंचदिवसीय पर्व
दीपावली केवल एक दिन का नहीं बल्कि पांच दिनों के उत्सव का समुच्चय है। आइए जानें 2025 में ये पांच दिन कौन-कौन से होंगे और उनका धार्मिक महत्व क्या है।
1. धनतेरस (धनत्रयोदशी) — 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
इस दिन लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या कोई भी नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 06:00 PM से 08:30 PM तक
त्रयोदशी तिथि: 18 अक्टूबर, 06:07 AM से 19 अक्टूबर, 05:39 AM तक
2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली — 19 अक्टूबर 2025 (रविवार)
इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसे “रूप चौदस” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है शरीर और मन की शुद्धि।
लोग इस दिन नहाने से पहले उबटन लगाते हैं और तेल स्नान करते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं।
3. दीपावली / लक्ष्मी पूजन — 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
यह मुख्य पर्व है। इस दिन महालक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। व्यापारी वर्ग के लिए यह दिन नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ करने का दिन भी होता है।
मुख्य अनुष्ठान:
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लक्ष्मी गणेश पूजन
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दीयों का प्रकाश
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घरों में सजावट और मिठाइयाँ
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पटाखों का आनंद (पर्यावरणीय सीमाओं के साथ)
4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट — 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र के अभिमान का हरण करने की कथा से संबंधित है। भक्तजन गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर पूजा करते हैं और अन्नकूट यानी तरह-तरह के व्यंजन प्रसाद के रूप में बनाते हैं।
5. भाई दूज — 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
भाई और बहन के पवित्र प्रेम का पर्व। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती है, और भाई बहन को स्नेह व उपहार देता है।
दीपावली का इतिहास और पौराणिक कथा
दीपावली के अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे विभिन्न कथाओं से जोड़ा गया है —
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उत्तर भारत में: यह पर्व भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है।
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दक्षिण भारत में: यह नरकासुर वध के उपलक्ष्य में, भगवान कृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाता है।
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जैन धर्म में: इसी दिन भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
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सिख धर्म में: यह दिन गुरु हरगोविंद जी के कारावास से मुक्त होने का प्रतीक है।
इस प्रकार दीपावली भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का त्योहार है।
लक्ष्मी पूजन विधि (2025)
दीपावली की सांझ को लक्ष्मी पूजन विशेष रूप से किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में भ्रमण करती हैं और साफ-सुथरे, प्रकाशमान घरों में निवास करती हैं।
पूजन विधि:
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घर या ऑफिस को साफ-सुथरा करें और दीयों से सजाएँ।
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भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियाँ नई या स्वच्छ हों।
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पूजन चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ, उस पर मूर्तियाँ स्थापित करें।
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हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, पान-सुपारी चढ़ाएँ।
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धूप-दीप जलाकर पूजा करें।
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लक्ष्मी मंत्रों का जप करें और अंत में आरती करें।
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व्यापारी वर्ग इस दिन अपने बहियों (खाते) की पूजा करता है, जिसे “चोपड़ा पूजन” कहा जाता है।
दीपावली का वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व
दीपावली केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक व सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी पर्व है।
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पर्यावरणीय दृष्टि से: दीप जलाने से मच्छर और कीट दूर होते हैं।
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मानसिक दृष्टि से: दीपों की रौशनी सकारात्मकता का संचार करती है।
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सामाजिक दृष्टि से: यह पर्व भाईचारे और एकता का प्रतीक है, जब परिवार, मित्र और पड़ोसी साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं।
2025 में दीपावली कैसे मनाएँ (आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीके)
आज के बदलते समय में, दीपावली का उत्सव पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मनाना आवश्यक है।
यहाँ कुछ सुझाव हैं जिनसे 2025 की दीपावली को ग्रीन और सुरक्षित बनाया जा सकता है:
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पारंपरिक मिट्टी के दिए जलाएँ, बिजली की सीरीज की बजाय।
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बच्चों को पटाखों से दूर रहने की प्रेरणा दें।
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इको-फ्रेंडली सजावट (रिसाइकल्ड कागज, बायोडिग्रेडेबल डेकोर) का उपयोग करें।
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मिठाइयाँ घर पर बनाएं ताकि रसायन-मुक्त और शुद्ध रहें।
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ज़रूरतमंदों को दान करें — यही सच्ची लक्ष्मी पूजा है।
दीपावली से जुड़ी परंपराएँ और रीति-रिवाज़
भारत के लगभग हर राज्य में दीपावली अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है:
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उत्तर भारत: रामायण की कथा पर केंद्रित दीपोत्सव, जहाँ अयोध्या में लाखों दीप जलते हैं।
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दक्षिण भारत: कृष्ण और नरकासुर की कथा के साथ, परिवार के साथ मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं।
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महाराष्ट्र: व्यवसायिक घरानों में नए खाते शुरू होते हैं।
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बंगाल: माँ काली की उपासना होती है, जिसे "काली पूजा" कहा जाता है।
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गुजरात: यह दिन नया वर्ष आरंभ करने का प्रतीक है, विशेष रूप से व्यापारी वर्ग में।
दीपावली 2025 की तैयारी कैसे करें
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घर की सफाई: अमावस्या से पहले घर को पूरी तरह साफ करें।
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सजावट: रंगोली, फूल और दीपों से घर सजाएँ।
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खरीदारी: उत्सव से कुछ दिन पहले धनतेरस पर आवश्यक वस्तुएँ खरीदें।
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भोजन: पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे लड्डू, काजू कतली, गुजिया आदि बनाएं।
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सुरक्षा: मोमबत्तियाँ और पटाखों का इस्तेमाल सावधानी से करें।
दीपावली और ज्योतिष
ज्योतिष के अनुसार, दीपावली के दिन किया गया साधना, दान और पूजन अत्यंत फलदायी होता है।
इस दिन चंद्र दोष, कालसर्प योग या ऋण बाधा से मुक्ति पाने के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं।
प्रमुख उपाय:
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भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के 108 नामों का स्मरण करें।
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अपने कार्यस्थल पर चार दिशाओं में दीपक जलाएँ।
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काली मिर्च, साबुत धनिया और कपूर का दीप जलाना शुभ माना जाता है।
दीपावली से आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
भारत की अर्थव्यवस्था पर दीपावली का गहरा असर पड़ता है। यह वह समय है जब खपत, व्यापार, और बाजार गतिविधियाँ चरम पर होती हैं।
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स्वर्ण और ज्वेलरी मार्केट में सबसे ज्यादा बिक्री होती है।
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ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, और फैशन इंडस्ट्री को नई गति मिलती है।
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ई-कॉमर्स फ्लैश सेल्स का ट्रेंड भी इसी अवधि में देखा जाता है।
मनोविज्ञान कहता है कि दीपावली के समय का सामूहिक उत्सव लोगों में खुशी, ऊर्जा और सामाजिक संबंधों को सशक्त बनाता है।
दीपावली के बाद क्या करें
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अमावस्या के दूसरे दिन यानी गोवर्धन पूजा पर ब्रज परिक्रमा या गौ पूजा करें।
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घर में जले हुए दीपों का तेल अगले दिन किसी पवित्र वृक्ष के पास डालें।
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पूजा स्थल को स्वच्छ रखें, ताकि मातृदेवी का आशीर्वाद बना रहे।
दीपावली और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता
आज दीपावली केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के 50 से अधिक देशों में मनाई जाती है —
अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, कनाडा आदि देशों में इसे “Festival of Lights” के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी दीपावली को अंतर्राष्ट्रीय पर्व की मान्यता दी है।
यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और वैश्विक सौहार्द का त्योहार है।
दीपावली 2025 FAQs
प्रश्न 1: दीपावली 2025 में कब है?
उत्तर: दीपावली 2025 सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
प्रश्न 2: लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: शाम 6:03 PM से 8:28 PM तक पूजा का श्रेष्ठ समय है।
प्रश्न 3: दीपावली कितने दिन तक चलती है?
उत्तर: यह पांच दिन तक चलती है – धनतेरस से भाई-दूज तक।
प्रश्न 4: दिवाली पर क्या खरीदना शुभ होता है?
उत्तर: सोना, चांदी, कपड़े, बर्तन, झाड़ू, घर की सजावट और इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदना शुभ माना जाता है।
प्रश्न 5: क्या दीपावली केवल हिंदू त्योहार है?
उत्तर: नहीं, इसे जैन, सिख और बौद्ध समुदाय भी विभिन्न रूपों में मनाते हैं।
निष्कर्ष
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाता है —
"अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीया उसे मिटा सकता है।"
साल 2025 में दीपावली का यह पर्व आपके जीवन में नई ऊर्जा, संपन्नता और खुशियों की ज्योति लेकर आए — यही शुभकामना है।
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