भारत में जब अंधकार को प्रकाश में बदलने का पर्व आता है, तो हर दिल में उल्लास और श्रद्धा की ज्योति जल उठती है। वही पर्व है — दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है। पाँच दिनों तक चलने वाला यह महापर्व सिर्फ़ रोशनी का नहीं, बल्कि आत्मा के जागरण, समृद्धि, और सकारात्मकता का पर्व है। और इसका आरंभ होता है धनतेरस से, जो सुख, स्वास्थ्य और धन की देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का दिन माना जाता है।
2025 में लोग अक्सर यह जानना चाहते हैं — धनतेरस कब है? दीवाली कब मनाई जाएगी? और इस वर्ष के विशेष योग और शुभ मुहूर्त क्या रहेंगे?
आइए जानते हैं इन सभी सवालों के सटीक ज्योतिषीय उत्तर और सांस्कृतिक महत्व।
दिवाली 2025 की पूरी तिथि सूची (Diwali 2025 Calendar in Hindi)
पर्व | तिथि (हिन्दू पंचांग के अनुसार) | ग्रेगोरियन तिथि (2025) | दिन |
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वसुबारस | कार्तिक कृष्ण द्वादशी | 17 अक्टूबर 2025 | शुक्रवार |
धनतेरस | कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी | 18 अक्टूबर 2025 | शनिवार |
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) | कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी | 19 अक्टूबर 2025 | रविवार |
लक्ष्मी पूजा / दीवाली | कार्तिक अमावस्या | 20 अक्टूबर 2025 | सोमवार |
गोवर्धन पूजा | कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा | 21 अक्टूबर 2025 | मंगलवार |
भाई दूज | कार्तिक शुक्ल द्वितीया | 22 अक्टूबर 2025 | बुधवार |
2025 में धनतेरस कब है — सटीक मुहूर्त और तिथि
धनतेरस तिथि: 18 अक्टूबर, शनिवार (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी)
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 6:37 बजे से रात 8:09 बजे तक (1 घंटा 32 मिनट)
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:23 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025 को सुबह 7:40 बजे
इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, और कुबेर देव की पूजा करके स्वास्थ्य, धन और दीर्घायु की कामना की जाती है।
धनतेरस का अर्थ और पौराणिक कथा
"धनतेरस" शब्द दो भागों से मिलकर बना है — "धन" अर्थात संपत्ति और "तेरस" अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि। इस दिन, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश और औषधियों के साथ पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसीलिए, धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है।
कहते हैं कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर उतरती हैं और अपने भक्तों के घर में प्रवेश करती हैं। घर को दीपों, रंगोली और साफ-सफाई से सजाया जाता है ताकि माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर स्थायी निवास करें।
क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
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धन और आरोग्य की प्रार्थना:
यह दिन स्वास्थ्य और समृद्धि दोनों के लिए शुभ माना जाता है। भगवान धन्वंतरि के पूजन से बीमारियों से रक्षा होती है। -
नई वस्तुओं की खरीदारी:
परंपरा के अनुसार इस दिन नया बर्तन, सोना-चांदी, वाहन या घर की कोई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। -
मृत्यु से बचाव का प्रसंग:
एक प्राचीन कथा है कि यमराज से बचने के लिए इस रात दीप जलाए जाते हैं। इसीलिए इसे यमदीपदान भी कहा गया है।
धनतेरस पर क्या खरीदें? (Shubh Vasthu for Dhanteras 2025)
धनतेरस के दिन खरीददारी एक धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखती है। निम्नलिखित वस्तुएं शुभ फल देती हैं:
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सोना या चांदी: लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक।
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धन्वंतरि भगवान की मूर्ति या चित्र: स्वास्थ्य लाभ हेतु।
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बर्तन (चांदी, तांबा या स्टील): समृद्धि में वृद्धि के लिए।
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झाड़ू: आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु शुभ।
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गायत्री या लक्ष्मी यंत्र: घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi in Hindi)
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प्रातः स्नान करें और घर को साफ-सुथरा रखें।
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सायंकाल दीपक जलाकर भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें।
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सात दीपक जलाकर घर के द्वार और आंगन में रखें — इसे यमदीप दान कहा जाता है।
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धनतेरस की शाम को नए बर्तन में चांदी या सिक्का रखकर पूजा करें।
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“ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का जाप करें।
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पूजा के बाद मिठाई और फल का भोग लगाएं।
दिवाली 2025 कब है और उसका शुभ मुहूर्त
दीवाली तिथि: 20 अक्टूबर 2025, सोमवार (कार्तिक अमावस्या)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6:10 बजे से रात 8:20 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 5:56 बजे से रात 8:26 बजे तक
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 अक्टूबर 2025 को सुबह 7:40 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर 2025 को सुबह 9:10 बजे
इस शुभ समय में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और सरस्वती जी की पूजा करने से घर में धन, ज्ञान और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
दिवाली का आध्यात्मिक महत्व
दीवाली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि आत्मा में प्रकाश फैलाने का प्रतीक है। जब हम अंधकार मिटाते हैं, तो नकारात्मकता, भय और लोभ भी समाप्त होते हैं।
यह पर्व पाँच प्रमुख मूल्यों की याद दिलाता है:
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साफ-सफाई: बाहरी और आंतरिक दोनों शुद्धिकरण।
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प्रकाश: अंधकार पर ज्ञान की विजय।
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दान: दूसरों के प्रति सहानुभूति का प्रदर्शन।
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बंधुत्व: रिश्तों में प्रेम और एकता का भाव।
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नव ऊर्जा: नवसंकल्प और जीवन में सकारात्मकता।
दिवाली पर किन देवताओं की पूजा आवश्यक है
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माता लक्ष्मी: धन, समृद्धि, सौभाग्य की देवी।
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भगवान गणेश: विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता।
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कुबेर भगवान: संपत्ति और आभूषणों के रक्षक।
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सरस्वती देवी: ज्ञान और कला की अधिष्ठात्री।
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गोवर्धन पूजा में श्रीकृष्ण: धर्म और संरक्षण के प्रतीक।
घर सजाने के लिए पारंपरिक और आधुनिक विचार
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मुख्य दरवाजे पर तोरण, मांगलिक स्वस्तिक, और लक्ष्मी पदचिह्न बनाएं।
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गुलाब, गेंदे और अशोक के फूलों से घर सजाएँ।
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रंगोली में दीप का प्रतीक बनाएं, जैसे फूलों या चावल की रंगोली।
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एलईडी लाइट्स और मिट्टी के दीये दोनों का संतुलित उपयोग करें।
ज्योतिषीय विशेष योग: धनतेरस और दिवाली 2025
2025 में धनतेरस और दीवाली पर कुछ दुर्लभ ज्योतिषीय योग बन रहे हैं:
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शुभ पुष्य नक्षत्र योग: धन प्राप्ति और निवेश के लिए उत्तम।
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राजयोग और लक्ष्मी योग: व्यापार में सफलता और धनवृद्धि का संकेत।
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चंद्रमा का वृषभ राशि में होना: आर्थिक लाभ के अवसर।
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अमावस्या पर बुध-गुरु संयोग: धार्मिक और व्यावसायिक समृद्धि का प्रतीक।
धनतेरस पर क्या न करें (Dhanteras ke Niyam)
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झाड़ू या कपड़े से शाम के समय घर की सफाई न करें।
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किसी से उधार या कर्ज़ न लें।
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काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
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रात्रि में अधिक भोजन या झगड़ा करने से बचें।
दिवाली 2025 के मुख्य अनुष्ठान
1. दीपदान: हर घर में भगवान यमराज के नाम का दीप जलाया जाता है।
2. लक्ष्मी-कुबेर पूजन: विशेष कुबेर यंत्र और लक्ष्मी मंत्र का जाप किया जाता है।
3. पटाखे और उत्सव: सुरक्षित और पर्यावरण-मित्र तरीके से उत्सव मनाना चाहिए।
4. परिवार के साथ भोजन: मिठाइयाँ, गुजिया, नमकीन और पकवानों से यह पर्व स्वादिष्ट बन जाता है।
दिवाली का आधुनिक स्वरूप
समय के साथ दीपावली का स्वरूप भी बदल रहा है।
जहाँ पहले मिट्टी के दीये और रेशमी परिधान प्रमुख थे, वहीं अब LED लाइट्स, Eco-friendly दीये, और डिजिटल कार्डों ने जगह ले ली है।
लोग अब ग्रीन दिवाली की ओर बढ़ रहे हैं — जिसमें पटाखों की जगह पौधे उपहार में दिए जाते हैं और पर्यावरण का ध्यान रखा जाता है।
सोशल मीडिया पर दिवाली 2025 के लोकप्रिय ट्रेंड्स
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दिवाली के बाद के दिन: गोवर्धन पूजा और भाई दूज
गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर 2025):
श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति में मनाया जाने वाला पर्व।
भक्ति, गाय सेवा और अन्नकूट का आयोजन इस दिन होता है।
भाई दूज (22 अक्टूबर 2025):
यह पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।
घर-परिवार के लिए सुझाव: कैसे बनाएं दीवाली यादगार
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अपने बच्चों को दीवाली के पौराणिक और सांस्कृतिक अर्थ समझाएं।
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परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक साथ दीप जलाएं।
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अनाथालय या वृद्धाश्रम में मिठाइयाँ बाँटें।
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अपने घर का कचरा रीसायकल करें और प्लास्टिक का उपयोग न करें।
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बुजुर्गों से पुराने त्योहारों की कहानियाँ सुनें।
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निष्कर्ष: दिवाली 2025 और धनतेरस की रोशनी
दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, कृतज्ञता और नवप्रेरणा का समय है।
2025 में जब दीपक जलेंगे, तो यह केवल घरों में नहीं, अपनों के दिलों में भी रौशनी फैलाएंगे।
धनतेरस की आरोग्यता और लक्ष्मी पूजन की समृद्धि एक साथ मिलकर जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं।
इस दिवाली, ईश्वर से यही प्रार्थना करें —
“हमारे घरों में प्रकाश कभी न बुझे, और हमारे मनों में सद्भाव, करुणा और प्रेम का दीप सदा जलता रहे।”
शुभ दीपावली व शुभ धनतेरस 2025!
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